Section 54: प्रॉपर्टी को बेचने से हुए कैपिटल गेन पर टैक्स कैसे बचाये?

Section 54 of income tax act in hindi – एक आम आदमी को प्रॉपर्टी बेचने पर ज्यादा टैक्स नहीं देना पड़े इसके लिए भी सरकार ने व्यवस्था की है। एक आम आदमी द्वारा प्रॉपर्टी बेचने के बाद कुछ शर्तों को पूरा किया जाता है, तो उसे सरकार द्वारा टैक्स में छूट दी जाती है। यह टैक्स छूट (exemption ) इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 54 में बताई गयी है।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Page Follow

अगर आपको प्रॉपर्टी को बेचने से कोई भी प्रॉफिट नहीं, बल्कि नुकसान हो रहा है, तो इसे भी रिटर्न में रिपोर्ट करे, ताकि इस नुकसान को आप बाद में अपने किसी दूसरे प्रॉफिट से सेट-ऑफ कर सके।

इसलिए आज के आर्टिकल में हम प्रॉपर्टी को बेचने से हुए प्रॉफिट पर टैक्स कैसे बचाये, के बारे में विस्तार से जानेंगे।

प्रॉपर्टी को बेचने से हुए प्रॉफिट पर टैक्स कैसे बचाये। section 54 of income tax act in hindi

किसी भी प्रॉपर्टी को बेचने पर होने वाले प्रॉफिट को सबसे पहले 2 टाइप में अलग किया जाता है, जो कि इस बात पर निर्भर करता है, कि आपने वह प्रॉपर्टी कितने समय तक अपने पास रखी थी।

जमींन या बिल्डिंग को आपने 24 महीनो से कम समय के लिए अपने पास रखा था, तो यह आपकी शार्ट टर्म कैपिटल असेट्स होगी। 24 महीनो से ज्यादा समय तक होल्ड करने पर इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल असेट्स माना जायेगा।

इन दोनों तरह की असेट्स को बेचने से होने वाले प्रॉफिट को हम 2 टाइप्स में अलग करते है –

  • शार्ट टर्म कैपिटल गेन
  • लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन

असेट्स को शार्ट टर्म और लॉन्ग टर्म में अलग करने के बाद हम देखते है कि प्रॉपर्टी रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी थी या कमर्शियल प्रॉपर्टी।

इस आर्टिकल में हम सिर्फ रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी पर टैक्स छूट के रूल्स के बारे में ही बात करेंगे।

अगर आपने अपनी कोई रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी बेचीं है, तो इस पर टैक्स बचाने के लिए आपको नई रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी खरीदनी होगी या पुरानी हाउस प्रॉपर्टी का कंस्ट्रक्शन करवाना होगा।

नई प्रॉपर्टी को खरीदने या कंस्ट्रक्शन करवाने की एक निर्धारित टाइम लिमिट होती है, आपको इसी टाइम लिमिट में नई प्रॉपर्टी खरीदनी या कंस्ट्रक्शन करवाना होगा। अगर आप नई प्रॉपर्टी खरीद लेते है लेकिन निर्धारित टाइम लिमिट के बाद में तो आपको टैक्स छूट प्राप्त नहीं होगी।

रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी पर टैक्स बचाने के लिए हमें सबसे पहले इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 54 को समझना होगा।

Holding PeriodAssets TypesCapital gain
More than 24 monthsLong TermLong Term
Less then 24 monthsShort termShort term

सेक्शन 54 क्या है ? (what is section 54 )

इनकम टैक्स एक्ट 1961 का सेक्शन 54 एक ऐसा सेक्शन है, जो कि रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी को बेचने से होने वाले कैपिटल गेन पर टैक्स कैसे बचाये के बारे में रूल्स बताता है।

सेक्शन 54 सिर्फ इंडिविजुअल या HUF पर ही एप्लीकेबल होता है, यानि किसी कंपनी, फर्म आदि द्वारा कोई प्रॉपर्टी बेचीं जाती है, तो उन पर यह सेक्शन लागू नहीं होगा।

इस सेक्शन के अनुसार यदि आप कोई लॉन्ग टर्म Residential house property को बेचते है, तो आप कुछ शर्तो को पूरी करके टैक्स से Exemption प्राप्त कर सकते है।

यानि सेक्शन 54 में टैक्स एग्जेम्पशन सिर्फ लॉन्ग टर्म रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी के केस में ही प्राप्त होगी , शार्ट टर्म हाउस प्रॉपर्टी को बेचने से हुए प्रॉफिट पर आप टैक्स नहीं बचा सकते है।

रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी आपके खुद के यूज़ में आ रही हो या आपने इसे किराये पर चला रखा हो , यह जरुरी नहीं है। बस हाउस प्रॉपर्टी रेजिडेंशियल होनी चाहिए, कमर्शियल नहीं।

सेक्शन 54 में छूट लेने के लिए पूरी की जाने वाली शर्ते  (conditions):

  • सेक्शन 54 में छूट लेने के लिए इंडिविजुअल या HUF द्वारा एक नयी रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी खरीदी जाये या हाउस प्रॉपर्टी का कंस्ट्रक्शन (construction) किया जाये,
  • नई हाउस प्रॉपर्टी को पुरानी रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी के ट्रांसफर किये जाने की तिथि से एक वर्ष पूर्व या ट्रांसफर की तिथि के बाद से 2 वर्ष के भीतर ख़रीदा जाना चाहिए ।
  • यदि हाउस प्रॉपर्टी का कंस्ट्रक्शन किया जा रहा है तो यह ट्रांसफर की तिथि के बाद 3 वर्ष के भीतर पूरा होना चाहिये।
  • जिस हाउस प्रॉपर्टी को ख़रीदा या construction करवाया जा रहा है, वह प्रॉपर्टी भारत में ही होनी चाहिये। ( असेसमेंट ईयर 2015-16 से एप्लीकेबल )

टैक्सपेयर द्वारा कितनी टैक्स छूट क्लेम की जा सकती है । section 54 Exemption limit

अगर आप सेक्शन 54 में बताई गयी शर्तों को पूरा करते है, तो आप टैक्स एग्जेम्पशन क्लेम कर सकते है।

सेक्शन 54 में आपको अधिकतम टैक्स एग्जेम्पशन दी जा सकती है –

  • कैपिटल गेन की राशि नई हाउस प्रॉपर्टी की लागत या कंस्ट्रक्शन से कम है, तो पूरा कैपिटल गेन टैक्स से exempt होगा।
  • अगर यदि कैपिटल गेन का अमाउंट नई हाउस प्रॉपर्टी की लागत से अधिक है, तो हाउस प्रॉपर्टी की लागत की ही एग्जेम्पशन प्राप्त होगी और बैलेंस राशि टैक्सेबल होगी। ( Capital gain – cost of new house property = Taxable Capital gain )

बजट 2023 में सेक्शन 54 में एग्जेम्पशन क्लेम करने की अधिकतम लिमिट को 10 करोड़ तक सीमित कर दिया है। अब अगर किसी टैक्सपेयर को 10 करोड़ से ज्यादा का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन होता है और उसके द्वारा कैपिटल गेन की पूरी राशि से नई हाउस प्रॉपटी खरीद भी ली जाती है, तो भी उसके द्वारा सेक्शन 54 में अधिकतम 10 करोड़ की टैक्स एग्जेम्पशन क्लेम की जा सकती है और बैलेंस राशि पर उसे टैक्स देना होगा।

नई हाउस प्रॉपर्टी को बेचने पर क्या होगा ?

टैक्सपेयर द्वारा सेक्शन 54 में नई रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी की खरीद पर टैक्स छूट क्लेम की जा सकती है, लेकिन अगर इस खरीदी गयी नई प्रॉपर्टी को खरीदने के 3 वर्ष के भीतर बेच दिया जाता है, तो टैक्सपेयर को काफी परेशानी उठानी पड़ सकती है।

यदि आपने इस नई प्रॉपर्टी को 3 वर्ष के भीतर बेचा तो सेक्शन 54 में आपने जो भी टैक्स एग्जेम्पशन क्लेम की थी, उस पर आपको टैक्स देना होगा।

कैपिटल गेन डिपाजिट अकाउंट स्कीम

यदि आपके द्वारा ITR की देय तिथि से पहले कैपिटल गेन की राशि नई हाउस प्रॉपर्टी की खरीद या कंस्ट्रक्शन में उपयोग नहीं ली जाती है, तो आपको सेक्शन 54 में छूट लेने के लिए यह राशि एक बैंक अकाउंट में जमा करवानी पड़ेगी।

यह बैंक अकाउंट कैपिटल गेन अकॉउंट स्कीम 1988 के तहत किसी पब्लिक सेक्टर बैंक या IDBI बैंक में ही खुलवाया जायेगा।

इस अकाउंट में कैपिटल गेन की राशि जमा करवाने पर आपको इस अकाउंट में जमा राशि और रिटर्न फाइलिंग की देय तिथि (due date ) तक नई हाउस प्रॉपर्टी की खरीद या कंस्ट्रक्शन में खर्च की गयी राशि की छूट प्राप्त होगी।

इस अकाउंट में जमा राशि का उपयोग सिर्फ हाउस प्रॉपर्टी की खरीद या कंस्ट्रक्शन में ही किया जाना चाहिए और यह खरीद या कंस्ट्रक्शन भी सेक्शन 54 में बताई गयी टाइम लिमिट में ही करना होगा।

अगर निर्धारित समय -सीमा के भीतर इस राशि का उपयोग नहीं किया जाता या किसी और काम में यूज़ किया जाता है, तो नहीं यूज़ में ली गयी राशि पर आपको टैक्स देना होगा।

सेक्शन 54 की टैक्स छूट लेते समय इन बातों का भी ध्यान रखे

  • सेक्शन 54 में सिर्फ एक house property के purchase या construction की छूट दी जायेगी। (लेकिन बजट 2019 में इस लिमिट को बढाकर 2 हाउस प्रॉपर्टी कर दिया गया है ) .

लेकिन ध्यान रखे 2 हाउस प्रॉपर्टी की खरीद या कंस्ट्रक्शन की लिमिट सिर्फ 2 करोड़ तक के कैपिटल गेन के केस में ही लागू होगी और यह छूट टैक्सपेयर अपने जीवन – काल में सिर्फ एक ही बार ले सकता है। 2 करोड़ से ज्यादा कैपिटल गेन के केस में सिर्फ एक हाउस प्रॉपर्टी की लिमिट ही लागू होगी।

  • Compulsory acquisition के केस में house property के purchase या construction की समय -सीमा compensation प्राप्त करने की तिथि से की जायेगी।
  • सेक्शन 54 में हाउस प्रॉपर्टी के construction की छूट प्राप्त करने के लिए यह जरुरी है कि construction ट्रांसफर की तारीख से 3 वर्षो के भीतर पूरा होना चाहिये। हालाँकि कंस्ट्रक्शन कब शुरू हुआ था इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
  • DDA या CO – operative सोसाइटी या अन्य संस्थानों की Self – financing स्कीम के तहत आवंटित फ्लैट को हाउस प्रॉपर्टी के कंस्ट्रक्शन की तरह माना जायेगा।
  • सेक्शन 54 की छूट प्राप्त करने के लिए यह अनिवार्य नहीं है कि इनकम टैक्स रिटर्न Due Date से पहले फाइल की जाये।
  • करदाता की मृत्यु हो जाने पर कैपिटल गेन अकाउंट स्कीम खाते में जमा कैपिटल गेन की राशि जिसका यूज़ नहीं किया गया था वह टैक्स फ्री होगी।

अगर आपको आर्टिकल section 54 of income tax act in hindi अच्छा लगा हो तो इसे आगे शेयर जरूर करे।

ये था सेक्शन 54 के बारे मे जो की सिर्फ residential house बेचके tax बचाने की बात थी लेकिन अगर आप किसी और long term capital gain से tax बचना चाहते है तो section 54F के बारे मे जानना होगा जिसके rule अलग है जो की share से या तो किसी और long term asset पे capital gain बचाने के लिए है।

Leave a Comment