GST क्या है? GST कैसे काम करता है? GST की संपूर्ण जानकारी।

GST के बारे मे हर कोई जनता है क्यूकी हर एक इंसान को GST देना पड़ता है लेकिन बहुत लोगो को GST के बारे मे ज्यादा जानकारी नही है इसलिए आज मे इस पोस्ट मे GST के बारे सारी जानकारी दुगी जिससे GST क्या होता है?, GST का पंजीकरण किससे करना चाहिए, GST के Return कोनसे कोनसे है? GST की कोनसी कोनसी स्कीम है सारा कुछ आज आपको जानने का मिलेगा।

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GST क्या है? (What is GST in hindi?)

GST का Full Form ‘Goods And Service tax’ है यानि की “वस्तु या सेवा के उपर कर”। GST 1 July 2017 से India मे लागू किया गया यानि की अभी 5 साल के उपर हो गए है और अभी तक बहुत सारे Amendment हो रहे है।

पहले एक ही चीज़ मे काफी सारे Tax लगते है और जब ग्राहक के पास आता था वो बहुत महगा हो जाता था इसलिए GST लाया गया जिसमे एक बार ही tax लगेगा और वो Final customer के उपर आके ख़त्म होगा।

पहले माल के उपर काफी सारे टैक्स लगते थे जैसे के Excise Duty, VAT, Entry Tax, Service Tax ऐसे बहुत सारे टैक्स लगते थे जो अपने अपने विस्तार के सरकार लगती थी और ये बहुत ज्यादा मात्रा मे भी था।

इन कारणो से GST लाया गया जिसमे एक ही tax लगेगा बाकी 28 जीतने जो tax थे वो नही लगेगा और एक ही दर पर tax पूरे भारत मे लगेगा।

GST आने पहले का Tax system:-

जब GST नही था तो किसी भी चीज़ बनाने पे Tax और एक जगह से दूसरी जगह पे भेजने का tax, माल बेचने पे tax, कुछ चीज़ों पर तो माल खरीदने पे भी टैक्स लगता है।

एक उदाहरण से समजते है की पहले कैसे tax लगता था जिससे End price ज्यादा हो जाती थी। कारखाने मे पेंट बनते है तो पहले कपड़ा खरीदा जाएगा फिर उसपे जो भी process होगी वो करके पेंट बनेगा फिर उसपे  टैक्स लगेगा और आगे होलसेल मे जाएगे वह भी टैक्स लगता है फिर वो होलसेलेर भी ब्रांडिंग करके आगे जाएगा वह टैक्स देना होगा फिर रीटेल को भी टैक्स देके समान लेना होता है तो सब अपना tax और profit लगाकर भाव बनाते है इससे भाव बढ़ जाता है।

नीचे कुछ Duty और Tax है जो GST के पहले थे (Tax/Duty Before GST)

Central Taxes Replaced By GST
(केंद्र के वो टैक्स जिनकी जगह जीएसटी ने ले ली है)
State Taxes Replaced By GST (राज्यों के वो टैक्स जिनकी जगह जीएसटी ने ले ली है)
केंद्रीय उत्पाद शुल्क (Central Excise Duty)मेडिकल और टॉयलट संबधी निर्माण पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क Duties of Excise (medical and Toilet preparations)विशेष महत्व की वस्तुओं पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क ( Additional Duties of Excise on Goods of special importanceसूती वस्त्र व संबंधित उत्पादों पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क Additional Duties of Excise (Textiles and textile products)कस्टम ड्यूटी Duties of Customs (CVD)विशेष कस्टम डयूटी (Special Additional Duty of Customs-SAD)सर्विस टैक्स (Service Tax)सेस और सरचार्ज (Cesses and surcharges)(वैट)State VAT(केंद्रीय बिक्री कर) Central Sales taxखरीद कर(Purchase Tax)विलासिता कर (Luxury Tax)प्रवेश कर (Entry Tax) सभी प्रकार केमनोरंजन कर (Entertainment Tax) जो स्थानीय निकायों के अलावा लगते थे(विज्ञापन कर) Taxes on advertisementsलॉटरी, सटटा और जुआं पर टैक्स (Taxes on lotteries, betting and gambling)उपकर और अधिभार State cesses and surcharges

राज्य सरकार और केन्द्र सरकार अपने अपने हिसाब से tax लेती थी जिससे भी डैम बढ़ता था लेकिन GST एक ऐसी सिस्टम है जिसमे टैक्स पहले ही उपर से तय है और सब को tax मिलता है जिससे सारी सरकार को पहले जैसे टैक्स मिलता रहे 

और GST मे ख़रीदारी पे tax लगता है और वेपारी उसको बाद मे Credit लेके वो tax वापिस ले सकता है जिससे अंत मे ग्राहक के उपर टैक्स आता है। आगे हम इसके बारे मे जानते है।

GST को चार तरीको से लिया जाता है जिसको हम GST के प्रकार भी कहते है:- 

GST के प्रकार (Types Of GST in hindi)

CGST:- 

CGST यानि Central Goods & service Tax. एक ही राज्य के अंदर-अंदर किसी वस्तु या सेवा का फेरफार होता होती है यानि की लेन-देन तो CGST देना पड़ता है जो की केंद्र सरकार के हाथ मे जाता है।

SGST:- 

SGST यानि की State Goods & service tax. एक ही राज्य के अंदर-अंदर किसी वस्तु या सेवा का फेरफार होता होती है यानि की लेन-देन तो SGST देना पड़ता है जो की राज्य  सरकार के हाथ मे जाता है।

यानि की राज्य के अंदर अंदर खरीद बिक्री होती है तो CGST और SGST देना होता है जो आधा आधा दोनों को देना होता है। जैसे की 18% अगर किसी चीज़ पे टैक्स लगता है तो 9% CGST और 9% SGST लगेगा। 

जब दो राज्य के अंदर अंदर ही सोदा होता है तो उसे Intra State Supply कहा जाता है। 

UGST:- 

UGST को UTGST भी कहा जाता है यानि की Union Territory Goods and Service Tax। जब दो केंद्र शासित प्रदेश के बीच मे सौदा हो रहा है तो UGST लागू होता है।

IGST:- 

IGST का full form Integrated Goods and Service Tax है। जब एक राज्य से दूसरे राज्य मे सौदा होता है तो IGST लगता है। दो अलग अलग राज्य के बीच की लेनदेन मे IGST लागू होता है।

जब दो अलग अलग राज्य के बीच मे लेनदेन होती है तो उससे Inter state supply कहा जाता है।

इन चार प्रकार से अलग अलग Tax लिया जाता है और कोई Tax नही लगता है और एक ही दर पे टैक्स लगता है पूरे भारत मे। जैसे की अगर TV पे 28% टैक्स है तो पूरे भारत मे 28% GST ही लगेगा।

तो ये एक फ़ायदा है की सब जगह एक जीतने price पे ही माल मिल जाता है।

GST कैसे Price के बढ़ावे को रोकता है और कैसे Tax कम लगता है।

GST मे  अगर एक कंपनी ने माल बेचा तो टैक्स लिया और wholesaler के पास tax वाला माल आया और उसने भी अपना प्रॉफ़िट लगाके वही GST लगाके Retailer को बेचा तो GST मे ऐसा  होगा की 5% कंपनी से Wholesaler के पास गया अब वो 5% लगाकर Retailer को बेचेगा अपना Profit लगाकर। 

कंपनी ने 5% लेके सरकार को दे दिया। और वह wholesaler का नाम भी बता दिया की किसको इतना बेचा। और अब wholesaler भी सरकार को टैक्स देगी लेकिन सिर्फ अपने प्रॉफ़िट पे क्यूकी GST मे Credit की system है यानि की जो टैक्स पहले से दे दिया है वो टैक्स फिर से नही देगी।

wholesaler ने जो tax पहले से दे दिया है वो फिर से नही देगा क्यूकी GST मे दिख जाएगा की इसने इतना Tax दिया है तो Actual जो प्रॉफ़िट पे Tax आएगा वो ही देना होगा। क्यूकी Credit के सामने बाकी tax Adjust हो जाएगा। 

जैसे की अगर आपने 10 लाख का माल लिया असपे 5% GST है तो 50000 टैक्स लगा तो आप जब उस 10 लाख के माल को 12 लाख मे बेचते हो यानि की 60000 टैक्स लगाते हो तो GST के Return मे आपको 60 हजार भरना होगा लेकिन 50 हजार टेक्स आपने दिया है पहेले से ही तो 50 हज़ार की ITC मिल जाएगे यानि की Credit तो 10000 आपको Tax देना होगा।

लेकिन अगर आपके GST number है तो और अगर वो सामने वाली कंपनी आपका बिल GST के पोर्टल पे नही बताती तो आपको 60 हज़ार का टैक्स देना होगा। आप उनसे बात करके Portal पे दिखा भी सकते है। या तो दूसरे महीने भी ITC मे मिल सकता है वो सब बाद की बात है।

GST के दर (GST Rate)

GST के सब चीज़ों पे नहीं  लगता है जैसे जैसे चीजे की क्षमता है उनके खरीदारों की उस हिसाब से दर है।

यानि की जो Basic सी चीजे है जिससे घर चलता है खाने पीने की चीजे जो जिंदा रहने के लिए जरूरी है असपे कम या ज़ीरो टैक्स लगता है। 

  • 00% GST : जीवन के लिए आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर, जैसे कि अनाज, नमक, गुड़, ताजी सब्जियां वगैरह पर ज़ीरो टैक्स है यानि की टेक्स नही लगता है।
  • 05% GST : जीवन के लिए सामान्य आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर, जैसे कि चीनी, तेल, मसाले, चाय, काफी, वगैरह पर 5 प्रतिशत टैक्स लगता है। 
  • 12% GST : रोजमर्रा के जीवन में काम आने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं पर, जैसे कि नमकीन, छाता, दवाइयां, वगैरह पर 12 प्रतिशत टैक्स लगता है। 
  • 18% GST :  मध्यम स्तर का जीवन जीने वाले लोगों के इस्तेमाल में आने वाली वस्तुएं जैसे कि डिटरजेंट, चॉकलेट, मिनरल वाटर, आइसक्रीम, शैंपू, रेफ्रिजरेटर वगैरह पर 18 प्रतिशत टैक्स लगता है। 
  • 28% GST : विलासी और हानिकारक श्रेणी में आने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं पर, जैसे कि- पान मसाला, ऑटोमोबाइल, फाइव स्टार होटल में ठहरना वगैरह पर 28 प्रतिशत टैक्स लगता है। 

यानि की जो इंसान Tax दे सकता है उनपे ही Tax ज्यादा लगाया है। जिससे गरीब के हाथ मे कोई टैक्स नही और अमीर के पास ज्यादा Tax आएगा।

GST मे टैक्स कोन जमा कराएगा? (Who paid GST?)

GST जिसने लिए है उसको ही जमा करना होगा। जैसे की जो अपना माल या सेवा देता है व्ही tax ले के सरकार को जमा कराएगी।

फिर वो कोई वेपारी होगा तो अपने हिसाब से Credit ले लेगा लेकिन जमा तो जो देने वाला है उनको ही Tax देना है भले वो ग्राहक से वसूले।

GST मे Tax Credit/ITC कैसे ले? (How to get Tax credit in GST)

जैसे हमने बताया wholesaler Tax लेके Retailer को बेचेगा और Retailer ग्राहक से tax लेगी। तो Wholesaler तो Retailer से जो Tax लेगी वो सरकार को जमा करा देगी फिर Retailer GST का Return File करते समय Tax Credit ले लेगा क्यूकी Retailer को भी ग्राहक से जो टैक्स लिया है वो सरकार को जमा करना है तब वो Credit लेगा तो कम tax देना होगा क्यूकी ऐसा  तो नहीं हो सकता की retailer wholesaler को tax दे फिर ग्राहक का लेके भी सरकार को दे यानि दो बार टैक्स दे। 

ITC Online काम करती है यानि की जो भी लें दें होती है उसका सारा हिसाब किताब GST के portal पे होता है क्यूकी हर एक को सारी डीटेल bill wise GST के portal पे देनी होती है। तो आपने जिससे माल लिया है वो GST के portal पे bill दिखाएगा। और वो आपके ITC मे दिखेगा।

ITC यानि Input Tax Credit यानि जो माल लिया है असपे tax दिया है उसका Credit लेना जिससे tax कम होगा। 

GST कैसे कम करता है और सरकार के पास कितना Tax आता है और वो कोन देता वो नीचे आप देख सकते है।

माल की लेनदेन करने वाला:- खरीदी जा रही वस्तु का दाम(GST के पहले)जीएसटी चुकाना पड़ेगा (खरीदार को)खरीदारी के लिए चुकाई गई कुल धनराशिअंतिम रूप से (टैक्स क्रेडिट होने के बाद) सरकार के हिस्से में आया जीएसटी
Step 1: हैंडलूम कारीगर से टेलर ने 500 रुपए मीटर का 2 मीटर कपड़ा खरीदा पैंट बनाने के लिए।1000 रुपए50 रुपए( सौदे का 5 प्रतिशत)1050 रुपए 50 रुपए
Step 2: टेलर ने पैंट तैयार करके अपना मेहनताना जोड़कर पैंट 1500 रुपए में रिटेलर को बेच दी।1500 रुपए75 रुपए (सौदे का 5 प्रतिशत)1575 रुपए25 रुपए( 50 रुपए टैक्स क्रेडिट के माध्यम से टेलर को वापस मिल जाएंगे)
Step 3: रिटेलर ने पैंट बेची ग्राहक को 1800 रुपए में 1800 रुपए90 रुपए1890 रुपए15 रुपए ( 75 रुपए टैक्स क्रेडिट के माध्यम से टेलर को वापस मिल जाएंगे)
निष्कर्ष: Consumer यानी अंतिम ग्राहक की जेब पर 1890 रुपए का बोझ पड़ा ,,  ,, ,,Total: 50+25+15= 90 रुपए      

उपर आपने देखा 90 रुपए सरकार को मिल रहे है और ववही 90 रुपए ग्राहक दे रहा है।

GST का Registration किसको लेना जरूरी है?

GST के कुछ नियम है की अगर आपका टर्नओवर GST मे जो लिमिट है उससे ज्यादा है तो आपको GST लेना अनिवार्य है। 

जो भी समान्य राज्य है उनको 40 लाख से ज्यादा Turnover है तो उन्हे GST का registration लेना ही होगा। 

लेकिन कुछ विशिष्ट राजय मे उनकी लिमिट 20 लाख है।  विशिष्ट राज्य की लिस्ट नीचे है यानि की इन सब राज्य को 20 लाख से ज्यादा का Turnover होने पर GST Registration लेना जरूरी है। 

  • Jammu & Kashmir
  • Assam
  • Arunachal Pradesh
  • Manipur
  • Meghalaya
  • Mizoram
  • Nagaland
  • Sikkim
  • Tripura
  • Uttarakhand
  • Himachal Pradesh

कुछ Business को लिमिट से कम Turnover होने पर भी GST Registration लेना अनिवार्य है जो आगे एक Detail मे पोस्ट करेगे।

GST के बारे मे ज्यादा जानकारी आने वाले Blog मे बताएगे की GST के Return कोनसे कोनसे है, GST की Regular और Composition Scheme क्या है किसको कोनसी Scheme लेनी चाहिए, और भी बहुत कुछ आगे के ब्लॉग पे जानेगे।

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